भारत को किंवदंतियों और किस्से-कहानियों का देश कहा जाता है. यहां एक बहुत पुरानी और प्रचलित कहावत है कि कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर बानी. भारत में इतनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता है कि सारी विविधताओं के बारे में लिख पाना किसी के लिए संभव नहीं. फिर भी हमने कोशिश की है कि हम आप तक किश्तों में इन फैक्ट्स को पहुंचा पायें.
1. तैरता हुआ डाकघर
वैसे तो भारत में डाक का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जहां 1,55,015 डाकघर हैं. एक अकेला डाकघर लगभग 7,175 लोगों की मदद हेतु तत्पर रहता है. देश के ऐसे डाकघर में श्रीनगर के डल झील का डाकखाना भी शामिल है. यह तैरता हुआ डाकघर है और इसकी शुरुआत साल 2011 में हुई थी.भारत को किंवदंतियों और किस्से-कहानियों का देश कहा जाता है. यहां एक बहुत पुरानी और प्रचलित कहावत है कि कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर बानी. भारत में इतनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता है कि सारी विविधताओं के बारे में लिख पाना किसी के लिए संभव नहीं. फिर भी हमने कोशिश की है कि हम आप तक किश्तों में इन फैक्ट्स को पहुंचा पायें.
वैसे तो भारत में डाक का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जहां 1,55,015 डाकघर हैं. एक अकेला डाकघर लगभग 7,175 लोगों की मदद हेतु तत्पर रहता है. देश के ऐसे डाकघर में श्रीनगर के डल झील का डाकखाना भी शामिल है. यह तैरता हुआ डाकघर है और इसकी शुरुआत साल 2011 में हुई थी.भारत को किंवदंतियों और किस्से-कहानियों का देश कहा जाता है. यहां एक बहुत पुरानी और प्रचलित कहावत है कि कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर बानी. भारत में इतनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता है कि सारी विविधताओं के बारे में लिख पाना किसी के लिए संभव नहीं. फिर भी हमने कोशिश की है कि हम आप तक किश्तों में इन फैक्ट्स को पहुंचा पायें.
2. कुंभ मेले की भीड़ अंतरिक्ष से भी दिखती थी
साल 2011 में संगम के तट पर आयोजित कुंभ मेले में पूरी दुनिया की ऐसी भीड़ जुटी थी कि इस भीड़ को अंतरिक्ष से भी देखा गया था. है न हैरानी वाली बात?
साल 2011 में संगम के तट पर आयोजित कुंभ मेले में पूरी दुनिया की ऐसी भीड़ जुटी थी कि इस भीड़ को अंतरिक्ष से भी देखा गया था. है न हैरानी वाली बात?
दुनिया में सबसे अधिक बारिश वाली जगह भारत में है
भारत के मेघालय प्रांत के खासी पहाड़ियों पर स्थित मौसिनराम नामक जगह में इतनी बारिश होती है कि एक आम आदमी इनकी कल्पना तक नहीं कर सकता. इससे पहले यह रिकॉर्ड मेघालय के चेरापूंजी के नाम था.
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