इश्क एक इबादत है तो ताजमहल उस इबादत की जानदार तस्वीर, मोहब्बत की इस अजिमोशान ईमारत को देखकर लोग आज भी प्यार पर भरोसा करते है, क्योकि इस प्यार में समर्पण, त्याग, ख़ुशी और वो सबकुछ है जो इश्क को मुकम्मल जहा देता है।प्यार की मिसाल माना जाने वाला दुनिया का यह अजूबा, भारत का गर्व है। इस अद्भुत स्मारक को सफ़ेद संगमरमर से शाहजहाँ द्वारा उसकी बेगम मुमताज़ की याद में बनवाया गया था। दुनिया का हर एक इंसान आज ताजमहल देखने की चाह रखता है क्योकि इसे मोहब्बत का मंदिर कहा जाता है। यमुना नदी के किनारे पर स्थित यह ईमारत एकविस्मरणीय स्थल है।पर्शियन बेगम मुमताज़ महल की मृत्यु अपने चौदहवे बच्चे को जन्म देते समय हो गयी, उनके चौदहवे बच्चे का नाम गौहर बेगम था। Taj Mahal का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ (शासनकाल 1628 से 1658) ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ।शाहजहाँ चाहते थे की दुनिया मुमताज़ और उनकी प्रेम कहानी को हमेशा याद रखे, इसीलिए उनकी याद में वे कुछ इतिहासिक धरोहर बनाना चाहते थे। जिसमे ताजमहल का निर्माण हुआ।ताजमहल का निर्माण लगभग 1643 में ही ख़त्म हो गया था लेकिन फिर भी उसकी सुंदरता को बढ़ाने के लिये और 10 सालो तक काम किया गया। ताजमहल का निर्माण तक़रीबन 1653 में पूरा हो गया था और उस समय उसे बनाने में लगभग 32 मिलियन रुपयों का खर्चा लगा था, ताजमहल का निर्माण जानकारी के अनुसार 25000+ कारीगरों ने किया था
2007 में, ताजमहल को दुनिया के 7 आश्चर्य की सूचि में भी शामिल किया गया था।हर साल ताजमहल को लगभग 9 से 10 मिलियन लोग देखने आते है। बेगम मुमताज़ महल कब्र कभी बड़ी और सफ़ेद मार्बल से बनी हुई, उनकी कब्र को काफी अलंकृत किया गया है। मुस्लिम परंपरा के अनुसार कब्र की विस्तृत सज्जा मन है। इसलिए शाहजहाँ एवं मुमताज़ के पार्थिव शरीर इसके निचे तुलनात्मक रूप से साधारण, असली कब्रों में दफ्न है, जिनके मुख दाये एवं मक्का की तरफ है।ताजमहल के मध्य में मुमताज़ महल कब्र को रखा गया है
यमुना नदी के किनारे सफ़ेद पत्थरो से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर “ताजमहल” न केवल भारत में, बल्कि पुरे विश्व में अपनी पहचान बना चूका है। प्यार किस इस निशानी को देखने के लिये दूर देशो से हजारो लोग यहाँ आते है। दुधिया चांदनी में नाहा रहे ताजमहल की खूबसूरती को निहारने के बाद आप कितनी भी उपमाये दे, वह सारी फीकी लगती है।ऐसा कहा जाता है जिन कारीगरों ने ताजमहल का निर्माण किया था, शाहजहाँ ने निर्माण होने के बाद उन कारीगरों के हात कटवा दिए थे। इस प्रकार के कई दावे ताजमहल को लेकर इतिहास में किये जाते है। इस ईमारत का निर्माण सदा से प्रशंसा एवं गर्व का विषय रहा है। इसने धर्म, संस्कृति एवं भूगोल की सीमाओ को पार करके लोगो के दिलो से व्यक्तिगत एवं भावनात्मक प्रतिक्रिया कराइ है। आज भी लोग लोग ताज महल को शाहजहाँ और मुमताज़ के मोहब्बत की निशानी मानते है। आज विश्व के सबसे सुन्दर भवनों में से एक ताजमहल है।कहा जाता है की मुमताज़ की मृत्यु का शाहजहाँ पर काफी असर हुआ था उनकी मृत्यु के बाद से ही शाहजहाँ की हालत भी काफी ख़राब हो गयी थी। कहा जाता है की शाहजहाँ मरते दम तक मुमताज़ को भूल नही पाए थे
ताजमहल को शाहजहाँ की तीसरी और सबसे प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनाया गया था और उसे बनाने में तक़रीबन 18 साल लगे थे।और ये बहुत ही सुंदर हैं !
2007 में, ताजमहल को दुनिया के 7 आश्चर्य की सूचि में भी शामिल किया गया था।हर साल ताजमहल को लगभग 9 से 10 मिलियन लोग देखने आते है। बेगम मुमताज़ महल कब्र कभी बड़ी और सफ़ेद मार्बल से बनी हुई, उनकी कब्र को काफी अलंकृत किया गया है। मुस्लिम परंपरा के अनुसार कब्र की विस्तृत सज्जा मन है। इसलिए शाहजहाँ एवं मुमताज़ के पार्थिव शरीर इसके निचे तुलनात्मक रूप से साधारण, असली कब्रों में दफ्न है, जिनके मुख दाये एवं मक्का की तरफ है।ताजमहल के मध्य में मुमताज़ महल कब्र को रखा गया है
यमुना नदी के किनारे सफ़ेद पत्थरो से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर “ताजमहल” न केवल भारत में, बल्कि पुरे विश्व में अपनी पहचान बना चूका है। प्यार किस इस निशानी को देखने के लिये दूर देशो से हजारो लोग यहाँ आते है। दुधिया चांदनी में नाहा रहे ताजमहल की खूबसूरती को निहारने के बाद आप कितनी भी उपमाये दे, वह सारी फीकी लगती है।ऐसा कहा जाता है जिन कारीगरों ने ताजमहल का निर्माण किया था, शाहजहाँ ने निर्माण होने के बाद उन कारीगरों के हात कटवा दिए थे। इस प्रकार के कई दावे ताजमहल को लेकर इतिहास में किये जाते है। इस ईमारत का निर्माण सदा से प्रशंसा एवं गर्व का विषय रहा है। इसने धर्म, संस्कृति एवं भूगोल की सीमाओ को पार करके लोगो के दिलो से व्यक्तिगत एवं भावनात्मक प्रतिक्रिया कराइ है। आज भी लोग लोग ताज महल को शाहजहाँ और मुमताज़ के मोहब्बत की निशानी मानते है। आज विश्व के सबसे सुन्दर भवनों में से एक ताजमहल है।कहा जाता है की मुमताज़ की मृत्यु का शाहजहाँ पर काफी असर हुआ था उनकी मृत्यु के बाद से ही शाहजहाँ की हालत भी काफी ख़राब हो गयी थी। कहा जाता है की शाहजहाँ मरते दम तक मुमताज़ को भूल नही पाए थे
ताजमहल को शाहजहाँ की तीसरी और सबसे प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनाया गया था और उसे बनाने में तक़रीबन 18 साल लगे थे।और ये बहुत ही सुंदर हैं !
No comments:
Post a Comment