Monday, May 14, 2018

मरने के बाद आत्मा कहा जाती हैं !

मृत्यु का पूर्वाभास इंसान को हो जाता हे उसी तरह से यह भी कहा जाता है कई योनियों के चक्र को पूरा करने के बाद हमे मानव जीवन मिलता हैं !













पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं. उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है.ये तीन मार्ग हैं अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग. अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्गपितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है.मृतक चाहे स्त्री हो या पुरुष अंतिम क्रिया पुत्र की संपन्न करता है। इस संबंध में हमारे शास्त्रों में उल्लेख है कि पुत्र पुत नामक नर्क से बचाता है अर्थात् पुत्र के हाथों से मुखाग्नि मिलने के बाद मृतक को स्वर्ग प्राप्त होता है। इसी मान्यता के आधार पर पुत्र होना कई जन्मों के पुण्यों का फल बताया जाता है। पुत्र माता-पिता का अंश होता है। इसी वजह से पुत्र का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता की मृत्यु उपरांत उन्हें मुखाग्नि दे। इसे पुत्र के लिए ऋण भी कहा गया है।

अंत समय का एहसास करवाते हैं मृत्यु पूर्वाभास

समय बीतने के साथ अगर कोई व्यक्ति अपनी नाक की नोक देखने में असमर्थ हो जाता है तो इसका अर्थ यही है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है. क्‍योंकि उसकी आंखें धीरे-धीरे ऊपर की ओर मुड़ने लगती हैं और मृत्‍यु के समय आंखें पूरी तरह ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं. बुरे कर्मो के लोगो के साथ कभी आग में जलाया जाता हैं कभी साप खाते हैं कभी गरम तेल में डाला जाता हैं .बुरे कर्मो की सजा तो जरुर मिलके ही रहती हैं .इससे आज तक कोई नही बच पाया .

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